पुस्तक के पर हर पन्ने हो रही अनराधार अश्रुवृष्टि
एक मनोहर काल्पनिक कथा के माध्यम से पूज्य गुरुदेव श्री भुवनभानुसुरिश्वरजी महाराजा हमें यही कला को सिखाते है । सभी हालात में अमीचंद खुश रह सकता है और गाडी-बंगला होने के बावजूद विनयचंद बेहाल । जगत के बाजार में न तो सुख को खरीदा जा सकता है और न ही दुःख को बेचा ।
इस पुस्तक के हर शब्द से करुणा का महासागर बहता है, वह भाई-भाई, देरानी-जेठानी, सास-बहु के बीच रहे कड़वाश के कचरे को साफ कर देगा और हमेशा के लिए आनंद से भरपूर बना देगा । इस बात का अनुभव करनेवाले ३ लाख से भी अधिक वाचक है, तो आप क्यों वंचित रहे ?
Jain Acharya Shri Bhuvanbhanu surishwarji Maharaja was a clairvoyant, acadamic genius, profound thinker, skillful orator and versetile writer. He acquired GDA degree from London. Has written more than 80 books of various subjects. He was renowned scholar of Prakrit, Sanskrit and Gujarati and had mastered every aspect of Indian Philosophy
Language :- Hindi
Paper Back 180 Pages
Amount :- ₹ 50.00